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अव्यय का शाब्दिक अर्थ होता है – जो व्यय न हो। जिनके रूप में लिंग , वचन , पुरुष , कारक , काल आदि की वजह से कोई परिवर्तन नहीं होता उसे अव्यय शब्द कहते हैं।
अव्यय का मूल रूप स्थिर रहता है,कभी बदलता नहीं है। जैसे – आज, काल, किन्तु, परन्तु
अव्यय के भेद :-
1) क्रिया-विशेषण अव्यय – धीरे – धीरे, प्रतिदिन
2) संबंधबोधक अव्यय – आगे, पीछे
3) समुच्चयबोधक अव्यय – और, जो ...तो,यदि...तो
4) विस्मयादिबोधक अव्यय – वाह!, आह!