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CTET 2023 Hindi Test - 1
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CTET 2023 Hindi Test - 1
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  • Question 1/10
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    निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

    रात यों
    कहने लगा मुझसे गगन का चांद,
    आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है।
    उलझने अपनी
    बनाकर आप ही फंसता,
    और फिर
    बेचैन हो जगता, न सोता है।
    जानता है
    तू कि मै कितना पुराना हूं?
    मैं चुका
    हूं देख मनु को जनमते—मरते
    और लाखों
    बार तुझ—से पागलों को भी
    चांदनी में
    बैठ स्वप्नों पर सही करते।

    ‘अनोखा जीव‘ का समानार्थी है-

    Solutions

    Explanation: ‘अनोखा जीव‘ का समानार्थी है-विशिष्ट प्राणी।

  • Question 2/10
    1 / -0

    निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

    रात यों
    कहने लगा मुझसे गगन का चांद,
    आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है।
    उलझने अपनी
    बनाकर आप ही फंसता,
    और फिर
    बेचैन हो जगता, न सोता है।
    जानता है
    तू कि मै कितना पुराना हूं?
    मैं चुका
    हूं देख मनु को जनमते—मरते
    और लाखों
    बार तुझ—से पागलों को भी
    चांदनी में
    बैठ स्वप्नों पर सही करते।

    ‘चांदनी‘ का पर्यायवाची इनमें से कौन—सा नहीं है?

    Solutions

    Explanation: ‘चांदनी‘ का पर्यायवाची अंशुमाली नहीं है।

  • Question 3/10
    1 / -0

    Directions For Questions

    निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

    रात यों
    कहने लगा मुझसे गगन का चांद,
    आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है।
    उलझने अपनी
    बनाकर आप ही फंसता,
    और फिर
    बेचैन हो जगता, न सोता है।
    जानता है
    तू कि मै कितना पुराना हूं?
    मैं चुका
    हूं देख मनु को जनमते—मरते
    और लाखों
    बार तुझ—से पागलों को भी
    चांदनी में
    बैठ स्वप्नों पर सही करते।

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    कवि के अनुसार कौन अपने आप उलझनें पैदा कर फंसता है?

    Solutions

    Explanation: कवि के अनुसार आदमी अपने आप उलझनें पैदा कर फंसता है।

  • Question 4/10
    1 / -0

    निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

    रात यों
    कहने लगा मुझसे गगन का चांद,
    आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है।
    उलझने अपनी
    बनाकर आप ही फंसता,
    और फिर
    बेचैन हो जगता, न सोता है।
    जानता है
    तू कि मै कितना पुराना हूं?
    मैं चुका
    हूं देख मनु को जनमते—मरते
    और लाखों
    बार तुझ—से पागलों को भी
    चांदनी में
    बैठ स्वप्नों पर सही करते।

    यहां ‘मैं‘ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?

    Solutions

    Explanation: यहां ‘मैं‘चांद के लिए लिए प्रयुक्त हुआ है।

  • Question 5/10
    1 / -0

    निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

    रात यों
    कहने लगा मुझसे गगन का चांद,
    आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है।
    उलझने अपनी
    बनाकर आप ही फंसता,
    और फिर
    बेचैन हो जगता, न सोता है।
    जानता है
    तू कि मै कितना पुराना हूं?
    मैं चुका
    हूं देख मनु को जनमते—मरते
    और लाखों
    बार तुझ—से पागलों को भी
    चांदनी में
    बैठ स्वप्नों पर सही करते।

    बेचैन में उपसर्ग है-

    Solutions

    Explanation: बेचैन में बे उपसर्ग है।

  • Question 6/10
    1 / -0

    निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

    रात यों
    कहने लगा मुझसे गगन का चांद,
    आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है।
    उलझने अपनी
    बनाकर आप ही फंसता,
    और फिर
    बेचैन हो जगता, न सोता है।
    जानता है
    तू कि मै कितना पुराना हूं?
    मैं चुका
    हूं देख मनु को जनमते—मरते
    और लाखों
    बार तुझ—से पागलों को भी
    चांदनी में
    बैठ स्वप्नों पर सही करते।

    तुझ—से का आशय है-

    Solutions

    Explanation: तुझ—से का आशय है-तेरे—जैसे को।

  • Question 7/10
    1 / -0

    निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

    रात यों
    कहने लगा मुझसे गगन का चांद,
    आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है।
    उलझने अपनी
    बनाकर आप ही फंसता,
    और फिर
    बेचैन हो जगता, न सोता है।
    जानता है
    तू कि मै कितना पुराना हूं?
    मैं चुका
    हूं देख मनु को जनमते—मरते
    और लाखों
    बार तुझ—से पागलों को भी
    चांदनी में
    बैठ स्वप्नों पर सही करते।

    तुझ—से का आशय है-

    Solutions

    Explanation: तुझ—से का आशय है-तेरे—जैसे को।

  • Question 8/10
    1 / -0

    Directions For Questions

    नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

    ऑक्सीजन, जल एवं भोजन, तीन ऐसे तत्व हैं जिनके बिना इस धरती पर हम जीवित नहीं रह सकते। लेकिन इन सबमें ऑक्सीजन सबसे ज्यादा जरूरी है और फिर जल एवं भोजन क्योंकि ऑक्सीजन के बिना हम एक सेकेंड भी नही जी सकते। स्वच्छ जल भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हमें अपनी दैनिक गतिविधियों को पूरा करने में और खासकर पीने के लिए इसकी जरूरत पड़ती है। पहले से ही स्वच्छ जल का प्रतिशत कम था लेकिन औद्योगिक गतिविधियों की वजह से जमीन के नीचे का स्वच्छ जल भी गंदा एवं प्रदूषित होता जा रहा है। ताजे मिनरल वाटर की बढ़ती हुई कमी की वजह से कई वर्षों से स्थानीय दुकानों पर इसकी बिक्री शुरू हो चुकी है और लोग इसे 30 से 35 रू में भी खरीदने को तैयार रहते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि साधारण नल का जल खासकर वे जो सार्वजनिक स्थानों पर उपलब्ध होते हैं ज्यादातर स्वच्छ नहीं होते। जल बचाने एवं उसकी सुरक्षा को लेकर लोगों की बढ़ती हुई लापरवाही और विकराल होती जनसंख्या की वजह से निश्चय ही भावी पीढ़ी को स्वच्छ जल की कमी की समस्या से जूझना पड़ेगा। इस धरती पर उपलब्ध जल का बहुत कम प्रतिशत ही पीने योग्य है और जल की कमी वाले स्थानों पर रहने वाले लोगों को प्रति दिन बहुत कम जल का इस्तेमाल करते हुए जीवित रहना पड़ता है। धरती के तीन चौथाई हिस्से में जल है और इसका 97% समुद्र का जल है अर्थात यह खारा जल है जो उपभोग के लिए अयोग्य है। बचे हुए लगभग 2.7 प्रतिशत जल ही स्वच्छ पीने योग्य जल है, लेकिन इसका भी 70 प्रतिशत बर्फ की चादरों के रूप में अंटार्टिका के हिमनद में समाया हुआ है। इस प्रकार हमारे पास सिर्फ एक प्रतिशत ही मीठा जल है जो मानव के उपयोग के लायक है। इस अनमोल स्रोत को सुरक्षित रखने के लिए जल संरक्षण बेहद आवश्यक है। साथ ही, यह भी आवश्यक है कि हम पीने योग्य जल के संसाधनों में सीवेज, जहरीले रसायन एवं अन्य कूड़े-कचरे के सीधे मिलने की वजह से दूषित होने से बचाएं। आबादी की बढ़ती हुई दर, वनों की कटाई एवं तेजी से हो रहे शहरीकरण की वजह से स्वच्छ जल की मांग बढ़ती जा रही है और साथ ही जल प्रदूषित एवं कम होता जा रहा है। भूमि अपवाह, जलनिकास, रिसाव, मल, वायुमंडलीय निक्षेप, वर्षण, औद्योगिक अपशिष्ट इत्यादि भूमिगत जल को प्रदूषित करने वाले स्रोत हैं। ये सभी गंदे पदार्थ झीलों, नदियों, तटीय जलों इत्यादि में जमा हो जाते हैं और धीरे-धीरे बड़े जल निकायों और इस प्रकार भूमिगत जल में भी मिल जाते हैं। कृषि भूमि में अत्यधिक मात्रा में उर्वरकों, कीटनाशकों एवं खर-पतवार नाशकों के इस्तेमाल के अलावा, आवासीय क्षेत्रों से कपड़े धोने का पाउडर, साबुन इत्यादि जल को प्रदूषित करने वाले अन्य स्रोत हैं। इस तरह के गैर इंगित प्रदूषण स्रोत भी जल की गुणवत्ता को खराब करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हमें जल संरक्षण के लिए वर्षा जल संग्रहण, उच्च क्षमता वाले कपड़े धोने की मशीनों का इस्तेमाल, मौसम पर आधारित सिंचाई नियंत्रक, बगीचे के नली नलिका एवं हाथ धोने के बेसिन में कम प्रवाह वाले नलों के इस्तेमाल के साथ स्विमिंग पूल कवर, स्वचालित नल इत्यादि के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहिए। जल बचाने की तकनीकों को व्यावसायिक क्षेत्रों में भी प्राथमिकता से अपनाया जाना चाहिए क्योंकि ऐसी जगहों पे दैनिक रूप से कई गैलन जल बचाया जा सकता है। कृषि क्षेत्र भी बेहद विशाल है जहां यदि जल बचाने की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए तो हम दैनिक रूप से और अधिक जल बचा सकते हैं। फसलों की सिंचाई के लिए हम ओवरहेड इरिगेशन (सेंट्रल-पिवोट या लैटरल मूविंग स्प्रिंकलरों के इस्तेमाल करते हुए), कम से कम वाष्पीकरण, रनऑफ या उपसतह जलनिकासी इत्यादि का इस्तेमाल कर सकते हैं। हरित खाद का प्रयोग, फसल के अवशेष का पुनर्चक्रण, पलवार, पशु खाद इत्यादि का खेत में इस्तेमाल के द्वारा मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा को बढ़ाता है जिससे मिट्टी में जल धारण करने एवं जल अवशोषित (मूसलाधार बारिश के दौरान) करने की क्षमता में वृद्धि होती है। जल संरक्षण के तकनीकों को म्युनिसिपल वॉटर युटिलिटीज या क्षेत्रीय सरकारों द्वारा एक समान रणनीति आम रणनीतियों जैसे सार्वजनिक आउटरीच कैंपेन जैसे कि जल के अधिक इस्तेमाल के लिए अधिक मूल्य चुकाना, बाहरी गतिविधियों जैसे फ्लोर क्लीनिंग, कार वॉशिंग इत्यादि के लिए स्वच्छ जल के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना। बिजली के मीटरों के समान ही हर घर में जलापूर्ति के लिए भी यूनिवर्सल मीटरों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यह सुविधा सिर्फ ग्रेट ब्रिटेन के रिहाईशी क्षेत्रों एवं कनाडा के शहरी घरों में ही उपलब्ध है। अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण संस्था के अनुमान के मुताबिक जलापूर्ति के लिए मीटर लगाना एक ऐसी प्रभावी तकनीक है जिससे द्वारा दैनिक जल की खपत में 20 से 40 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है। जल की कम खपत से उपजने वाली फसल, अर्थात ऐसी फसल जिन्हें कम सिंचाई की जरूरत होती है, के विकास को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, क्योंकि मात्र सिंचाई कार्य में ही दुनिया में उपलब्ध स्वच्छ जल का 70% खर्च हो जाता है। जल बचत की तकनीक समाज, समुदायों, व्यापार वर्गों सहित गांवों में रहने वाले लोगों के बीच प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि ये ही बेहिसाब तरीके से जल का इस्तेमाल करते हैं। किसानों, बच्चों एवं महिलाओं को जल का उपयोग कुशल तरीके से कैसे करें इस बारे में ठीक से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। उन्हें अपने जीवन में जल का महत्व समझना होगा। स्वच्छ जल की कमी सिर्फ किसी एक देश की समस्या नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व की समस्या है जिसे वैश्विक स्तर पर लोगों के बीच जागरूकता फैला कर हल किए जाने की आवश्यकता है।

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    गद्यांश के अनुसार, अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण संस्था के अनुमान के मुताबिक दैनिक जल की खपत में कमी लाने के लिए क्या उपाय किया जाना चाहिए।

    Solutions

    Explanation: प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार, अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण संस्था के अनुमान के मुताबिक दैनिक जल की खपत में कमी लाने के लिए मीटर तकनीक लगानी चाहिए।

  • Question 9/10
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    Directions For Questions

    नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

    ऑक्सीजन, जल एवं भोजन, तीन ऐसे तत्व हैं जिनके बिना इस धरती पर हम जीवित नहीं रह सकते। लेकिन इन सबमें ऑक्सीजन सबसे ज्यादा जरूरी है और फिर जल एवं भोजन क्योंकि ऑक्सीजन के बिना हम एक सेकेंड भी नही जी सकते। स्वच्छ जल भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हमें अपनी दैनिक गतिविधियों को पूरा करने में और खासकर पीने के लिए इसकी जरूरत पड़ती है। पहले से ही स्वच्छ जल का प्रतिशत कम था लेकिन औद्योगिक गतिविधियों की वजह से जमीन के नीचे का स्वच्छ जल भी गंदा एवं प्रदूषित होता जा रहा है। ताजे मिनरल वाटर की बढ़ती हुई कमी की वजह से कई वर्षों से स्थानीय दुकानों पर इसकी बिक्री शुरू हो चुकी है और लोग इसे 30 से 35 रू में भी खरीदने को तैयार रहते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि साधारण नल का जल खासकर वे जो सार्वजनिक स्थानों पर उपलब्ध होते हैं ज्यादातर स्वच्छ नहीं होते। जल बचाने एवं उसकी सुरक्षा को लेकर लोगों की बढ़ती हुई लापरवाही और विकराल होती जनसंख्या की वजह से निश्चय ही भावी पीढ़ी को स्वच्छ जल की कमी की समस्या से जूझना पड़ेगा। इस धरती पर उपलब्ध जल का बहुत कम प्रतिशत ही पीने योग्य है और जल की कमी वाले स्थानों पर रहने वाले लोगों को प्रति दिन बहुत कम जल का इस्तेमाल करते हुए जीवित रहना पड़ता है। धरती के तीन चौथाई हिस्से में जल है और इसका 97% समुद्र का जल है अर्थात यह खारा जल है जो उपभोग के लिए अयोग्य है। बचे हुए लगभग 2.7 प्रतिशत जल ही स्वच्छ पीने योग्य जल है, लेकिन इसका भी 70 प्रतिशत बर्फ की चादरों के रूप में अंटार्टिका के हिमनद में समाया हुआ है। इस प्रकार हमारे पास सिर्फ एक प्रतिशत ही मीठा जल है जो मानव के उपयोग के लायक है। इस अनमोल स्रोत को सुरक्षित रखने के लिए जल संरक्षण बेहद आवश्यक है। साथ ही, यह भी आवश्यक है कि हम पीने योग्य जल के संसाधनों में सीवेज, जहरीले रसायन एवं अन्य कूड़े-कचरे के सीधे मिलने की वजह से दूषित होने से बचाएं। आबादी की बढ़ती हुई दर, वनों की कटाई एवं तेजी से हो रहे शहरीकरण की वजह से स्वच्छ जल की मांग बढ़ती जा रही है और साथ ही जल प्रदूषित एवं कम होता जा रहा है। भूमि अपवाह, जलनिकास, रिसाव, मल, वायुमंडलीय निक्षेप, वर्षण, औद्योगिक अपशिष्ट इत्यादि भूमिगत जल को प्रदूषित करने वाले स्रोत हैं। ये सभी गंदे पदार्थ झीलों, नदियों, तटीय जलों इत्यादि में जमा हो जाते हैं और धीरे-धीरे बड़े जल निकायों और इस प्रकार भूमिगत जल में भी मिल जाते हैं। कृषि भूमि में अत्यधिक मात्रा में उर्वरकों, कीटनाशकों एवं खर-पतवार नाशकों के इस्तेमाल के अलावा, आवासीय क्षेत्रों से कपड़े धोने का पाउडर, साबुन इत्यादि जल को प्रदूषित करने वाले अन्य स्रोत हैं। इस तरह के गैर इंगित प्रदूषण स्रोत भी जल की गुणवत्ता को खराब करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हमें जल संरक्षण के लिए वर्षा जल संग्रहण, उच्च क्षमता वाले कपड़े धोने की मशीनों का इस्तेमाल, मौसम पर आधारित सिंचाई नियंत्रक, बगीचे के नली नलिका एवं हाथ धोने के बेसिन में कम प्रवाह वाले नलों के इस्तेमाल के साथ स्विमिंग पूल कवर, स्वचालित नल इत्यादि के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहिए। जल बचाने की तकनीकों को व्यावसायिक क्षेत्रों में भी प्राथमिकता से अपनाया जाना चाहिए क्योंकि ऐसी जगहों पे दैनिक रूप से कई गैलन जल बचाया जा सकता है। कृषि क्षेत्र भी बेहद विशाल है जहां यदि जल बचाने की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए तो हम दैनिक रूप से और अधिक जल बचा सकते हैं। फसलों की सिंचाई के लिए हम ओवरहेड इरिगेशन (सेंट्रल-पिवोट या लैटरल मूविंग स्प्रिंकलरों के इस्तेमाल करते हुए), कम से कम वाष्पीकरण, रनऑफ या उपसतह जलनिकासी इत्यादि का इस्तेमाल कर सकते हैं। हरित खाद का प्रयोग, फसल के अवशेष का पुनर्चक्रण, पलवार, पशु खाद इत्यादि का खेत में इस्तेमाल के द्वारा मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा को बढ़ाता है जिससे मिट्टी में जल धारण करने एवं जल अवशोषित (मूसलाधार बारिश के दौरान) करने की क्षमता में वृद्धि होती है। जल संरक्षण के तकनीकों को म्युनिसिपल वॉटर युटिलिटीज या क्षेत्रीय सरकारों द्वारा एक समान रणनीति आम रणनीतियों जैसे सार्वजनिक आउटरीच कैंपेन जैसे कि जल के अधिक इस्तेमाल के लिए अधिक मूल्य चुकाना, बाहरी गतिविधियों जैसे फ्लोर क्लीनिंग, कार वॉशिंग इत्यादि के लिए स्वच्छ जल के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना। बिजली के मीटरों के समान ही हर घर में जलापूर्ति के लिए भी यूनिवर्सल मीटरों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यह सुविधा सिर्फ ग्रेट ब्रिटेन के रिहाईशी क्षेत्रों एवं कनाडा के शहरी घरों में ही उपलब्ध है। अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण संस्था के अनुमान के मुताबिक जलापूर्ति के लिए मीटर लगाना एक ऐसी प्रभावी तकनीक है जिससे द्वारा दैनिक जल की खपत में 20 से 40 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है। जल की कम खपत से उपजने वाली फसल, अर्थात ऐसी फसल जिन्हें कम सिंचाई की जरूरत होती है, के विकास को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, क्योंकि मात्र सिंचाई कार्य में ही दुनिया में उपलब्ध स्वच्छ जल का 70% खर्च हो जाता है। जल बचत की तकनीक समाज, समुदायों, व्यापार वर्गों सहित गांवों में रहने वाले लोगों के बीच प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि ये ही बेहिसाब तरीके से जल का इस्तेमाल करते हैं। किसानों, बच्चों एवं महिलाओं को जल का उपयोग कुशल तरीके से कैसे करें इस बारे में ठीक से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। उन्हें अपने जीवन में जल का महत्व समझना होगा। स्वच्छ जल की कमी सिर्फ किसी एक देश की समस्या नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व की समस्या है जिसे वैश्विक स्तर पर लोगों के बीच जागरूकता फैला कर हल किए जाने की आवश्यकता है।

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    गद्यांश के अनुसार, बारिश के दौरान मिट्टी में जल धारण करने एवं जल अवशोषित करने की क्षमता में वृद्धि किस कारण होती है?

    Solutions

    Explanation: प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार, हरित खाद का प्रयोग करने और फसल के अवशेष का पुनर्चक्रण करने आदि से मिट्टी में जल धारण करने एवं जल अवशोषित करने की क्षमता को वृद्धि कारण होती है।

  • Question 10/10
    1 / -0

    Directions For Questions

    नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

    ऑक्सीजन, जल एवं भोजन, तीन ऐसे तत्व हैं जिनके बिना इस धरती पर हम जीवित नहीं रह सकते। लेकिन इन सबमें ऑक्सीजन सबसे ज्यादा जरूरी है और फिर जल एवं भोजन क्योंकि ऑक्सीजन के बिना हम एक सेकेंड भी नही जी सकते। स्वच्छ जल भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हमें अपनी दैनिक गतिविधियों को पूरा करने में और खासकर पीने के लिए इसकी जरूरत पड़ती है। पहले से ही स्वच्छ जल का प्रतिशत कम था लेकिन औद्योगिक गतिविधियों की वजह से जमीन के नीचे का स्वच्छ जल भी गंदा एवं प्रदूषित होता जा रहा है। ताजे मिनरल वाटर की बढ़ती हुई कमी की वजह से कई वर्षों से स्थानीय दुकानों पर इसकी बिक्री शुरू हो चुकी है और लोग इसे 30 से 35 रू में भी खरीदने को तैयार रहते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि साधारण नल का जल खासकर वे जो सार्वजनिक स्थानों पर उपलब्ध होते हैं ज्यादातर स्वच्छ नहीं होते। जल बचाने एवं उसकी सुरक्षा को लेकर लोगों की बढ़ती हुई लापरवाही और विकराल होती जनसंख्या की वजह से निश्चय ही भावी पीढ़ी को स्वच्छ जल की कमी की समस्या से जूझना पड़ेगा। इस धरती पर उपलब्ध जल का बहुत कम प्रतिशत ही पीने योग्य है और जल की कमी वाले स्थानों पर रहने वाले लोगों को प्रति दिन बहुत कम जल का इस्तेमाल करते हुए जीवित रहना पड़ता है। धरती के तीन चौथाई हिस्से में जल है और इसका 97% समुद्र का जल है अर्थात यह खारा जल है जो उपभोग के लिए अयोग्य है। बचे हुए लगभग 2.7 प्रतिशत जल ही स्वच्छ पीने योग्य जल है, लेकिन इसका भी 70 प्रतिशत बर्फ की चादरों के रूप में अंटार्टिका के हिमनद में समाया हुआ है। इस प्रकार हमारे पास सिर्फ एक प्रतिशत ही मीठा जल है जो मानव के उपयोग के लायक है। इस अनमोल स्रोत को सुरक्षित रखने के लिए जल संरक्षण बेहद आवश्यक है। साथ ही, यह भी आवश्यक है कि हम पीने योग्य जल के संसाधनों में सीवेज, जहरीले रसायन एवं अन्य कूड़े-कचरे के सीधे मिलने की वजह से दूषित होने से बचाएं। आबादी की बढ़ती हुई दर, वनों की कटाई एवं तेजी से हो रहे शहरीकरण की वजह से स्वच्छ जल की मांग बढ़ती जा रही है और साथ ही जल प्रदूषित एवं कम होता जा रहा है। भूमि अपवाह, जलनिकास, रिसाव, मल, वायुमंडलीय निक्षेप, वर्षण, औद्योगिक अपशिष्ट इत्यादि भूमिगत जल को प्रदूषित करने वाले स्रोत हैं। ये सभी गंदे पदार्थ झीलों, नदियों, तटीय जलों इत्यादि में जमा हो जाते हैं और धीरे-धीरे बड़े जल निकायों और इस प्रकार भूमिगत जल में भी मिल जाते हैं। कृषि भूमि में अत्यधिक मात्रा में उर्वरकों, कीटनाशकों एवं खर-पतवार नाशकों के इस्तेमाल के अलावा, आवासीय क्षेत्रों से कपड़े धोने का पाउडर, साबुन इत्यादि जल को प्रदूषित करने वाले अन्य स्रोत हैं। इस तरह के गैर इंगित प्रदूषण स्रोत भी जल की गुणवत्ता को खराब करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हमें जल संरक्षण के लिए वर्षा जल संग्रहण, उच्च क्षमता वाले कपड़े धोने की मशीनों का इस्तेमाल, मौसम पर आधारित सिंचाई नियंत्रक, बगीचे के नली नलिका एवं हाथ धोने के बेसिन में कम प्रवाह वाले नलों के इस्तेमाल के साथ स्विमिंग पूल कवर, स्वचालित नल इत्यादि के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहिए। जल बचाने की तकनीकों को व्यावसायिक क्षेत्रों में भी प्राथमिकता से अपनाया जाना चाहिए क्योंकि ऐसी जगहों पे दैनिक रूप से कई गैलन जल बचाया जा सकता है। कृषि क्षेत्र भी बेहद विशाल है जहां यदि जल बचाने की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए तो हम दैनिक रूप से और अधिक जल बचा सकते हैं। फसलों की सिंचाई के लिए हम ओवरहेड इरिगेशन (सेंट्रल-पिवोट या लैटरल मूविंग स्प्रिंकलरों के इस्तेमाल करते हुए), कम से कम वाष्पीकरण, रनऑफ या उपसतह जलनिकासी इत्यादि का इस्तेमाल कर सकते हैं। हरित खाद का प्रयोग, फसल के अवशेष का पुनर्चक्रण, पलवार, पशु खाद इत्यादि का खेत में इस्तेमाल के द्वारा मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा को बढ़ाता है जिससे मिट्टी में जल धारण करने एवं जल अवशोषित (मूसलाधार बारिश के दौरान) करने की क्षमता में वृद्धि होती है। जल संरक्षण के तकनीकों को म्युनिसिपल वॉटर युटिलिटीज या क्षेत्रीय सरकारों द्वारा एक समान रणनीति आम रणनीतियों जैसे सार्वजनिक आउटरीच कैंपेन जैसे कि जल के अधिक इस्तेमाल के लिए अधिक मूल्य चुकाना, बाहरी गतिविधियों जैसे फ्लोर क्लीनिंग, कार वॉशिंग इत्यादि के लिए स्वच्छ जल के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना। बिजली के मीटरों के समान ही हर घर में जलापूर्ति के लिए भी यूनिवर्सल मीटरों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यह सुविधा सिर्फ ग्रेट ब्रिटेन के रिहाईशी क्षेत्रों एवं कनाडा के शहरी घरों में ही उपलब्ध है। अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण संस्था के अनुमान के मुताबिक जलापूर्ति के लिए मीटर लगाना एक ऐसी प्रभावी तकनीक है जिससे द्वारा दैनिक जल की खपत में 20 से 40 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है। जल की कम खपत से उपजने वाली फसल, अर्थात ऐसी फसल जिन्हें कम सिंचाई की जरूरत होती है, के विकास को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, क्योंकि मात्र सिंचाई कार्य में ही दुनिया में उपलब्ध स्वच्छ जल का 70% खर्च हो जाता है। जल बचत की तकनीक समाज, समुदायों, व्यापार वर्गों सहित गांवों में रहने वाले लोगों के बीच प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि ये ही बेहिसाब तरीके से जल का इस्तेमाल करते हैं। किसानों, बच्चों एवं महिलाओं को जल का उपयोग कुशल तरीके से कैसे करें इस बारे में ठीक से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। उन्हें अपने जीवन में जल का महत्व समझना होगा। स्वच्छ जल की कमी सिर्फ किसी एक देश की समस्या नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व की समस्या है जिसे वैश्विक स्तर पर लोगों के बीच जागरूकता फैला कर हल किए जाने की आवश्यकता है।

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    गद्यांश के अनुसार, स्वच्छ जल की माँग में वृद्धि का कारण निम्नलिखित में से कौन सा एक नहीं है?

    Solutions

    Explanation: प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार, तेजी से होता आधुनिकीकरण, स्वच्छ जल की माँग में वृद्धि का कारण नहीं है।

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