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वाच्यस्य नियमानुगुणम् उचितं विकल्पं चिनुत।
संस्कृत व्याकरण में तीन वाच्य -
स्पष्टीकरण -
अतः उचित पर्याय 'मया' तथा संपूर्ण वाक्य 'मया चित्राणि दृश्यन्ते' होता है।
वाच्यस्य नियमानुगुणम् उचितं विकल्पं चिनुत
प्रस्तुत वाक्य 'मनः सत्येन ……………….. ।' में 'मनः' पद कर्ता है तथा वह प्रथमा विभक्ति में है। अतः यह वाक्य कर्तृवाच्य है।
वाक्य में 'शुध्' (४ प. प.) लट्लकार का प्रयोग करना है, कर्तृवाच्य के अनुसार यहाँ 'शुध्यति' यह रूप बनता है।
अतः उचित पर्याय 'शुध्यति' तथा संपूर्ण वाक्य 'मनः सत्येन शुध्यति।' होता है।
Confusion Points'शुध्यति' में 'य्' ४ गण का विकरण है, आत्मनेपद का नहीँ।
वाच्यस्य नियमानुगुणम् उचितं विकल्पं चिनुत।
प्रश्नानुवाद - वाच्य के नियम के अनुसार उचित विकल्प चुने। मात्रा रोटिकाः _______।
स्पष्टीकरण - नियमानुसार यहाँ पच्यन्ते क्रियापद आयेगा।
अतः उचित पर्याय 'पच्यन्ते' है तथा संपूर्ण वाक्य 'मात्रा रोटिकाः पच्यन्ते।' होता है।
उत्तिष्ठत, जाग्रत, प्राप्य वरान् निबोधत।क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया,दुर्गं पथस्तत् कवयोः वदन्ति॥
श्लोके ‘धारा’ पदस्य किं विशेषणं वर्तते?
प्रश्न अनुवाद -उत्तिष्ठत, जाग्रत, प्राप्य वरान् निबोधत।क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया,दुर्गं पथस्तत् कवयो वदन्ति॥श्लोक में ‘धारा’ पद का क्या विशेषण है ?स्पष्टीकरण -
अत: 'निशिता' विकल्प सही है।
Additional Informationविशेषण की परिभाषा -
विशेषण के भेद - विशेषण मुख्यतः छः प्रकार के होते है -
प्रश्नार्थ - ‘अयम् एव कारणं षण्णाम् ऋतूणाम्' इस पद का विशेषण है-
विशेषण-विशेष्य
वाक्य विश्लेषण
प्रस्तुत वाक्य में ‘अयम् एव कारणं षण्णाम् ऋतूणाम्' इस वाक्य का अर्थ है, 'यही कारण है छह ऋतुओं का।'
किन्तु न कदाचित् आर्यस्य निष्प्रयोजना प्रवृत्तिः।
इति वाक्ये ‘प्रवृत्तिः’ पदस्य विशेषणपदं किम्?
प्रश्न अनुवाद -किन्तु न कदाचित् आर्यस्य निष्प्रयोजना प्रवृत्तिः।इस वाक्य में ‘प्रवृत्तिः’ पद का विशेषण पद क्या है ?स्पष्टीकरण -
Additional Information विशेषण की परिभाषा -
प्रश्नार्थ - 'व्याघ्रः' पद का समानार्थी है
स्पष्टीकरण - 'व्याघ्रः' के लिए संस्कृत में उल्लेख है- 'शार्दूलद्वीपिनौ व्याघ्रे'
अर्थात् शार्दूल द्विपिन् और व्याघ्र यह पद बाघ के लिए दिए गये है।
इस तरह स्पष्ट है कि यहाँ व्याघ्रः शब्द शार्दूलः का पर्याय है।
Confusion Points
मृगेन्द्रः - सिंह के लिए -सिंहो मृगेन्द्रः पञ्चास्यो हर्यक्षः केसरी हरिः।' इस उक्ति में मृगेंद्र और 'पञ्चास्य' अर्थात् 'पंचानन' कहा गया है।
'विहस्य' इति पदस्य समानार्थकं लिखत-
प्रश्नार्थ - 'विहस्य' इस पद का समानार्थक पद लिखें-
Additional Information
प्रश्नार्थ - 'उपकारः' का विलोम शब्द है-
स्पष्टीकरण - 'उपकारः' का हिंदी अर्थ उपकार ही होता है।
'उपकार' के लिए विलोम 'अपकारः' होता है।
अतः उचित पर्याय अपकारः होता है।
प्रश्नार्थ - 'हानिः' का विलोम शब्द है-
स्पष्टीकरण - हानि का हिंदी अर्थ भी हानि ही होता है। अर्थात किसी का नुकसान होना।
हानि के लिए विलोम लाभ होना है। अतः उचित पर्याय लाभः होता है।
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