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Sanskrit Language Test - 9
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Sanskrit Language Test - 9
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  • Question 1/10
    5 / -1

    "बालः पाषाणं क्षिपति" अस्य वाक्यस्य वाच्यपरिवर्तन कुरुत -
    Solutions

    प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - 'बालः पाषाणं क्षिपति' वाक्य का वाच्य परिवर्तन करो -

    स्पष्टीकरण -

    वाच्य - किसी वाक्य के वाच्य से ज्ञात होता है कि वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव प्रधान है। संस्कृत में तीन वाच्य होते हैं-

    १. कर्तृवाच्य २. कर्मवाच्य ३. भाववाच्य

    वाच्य

    विशेष

    उदाहरण

    कर्तृवाच्य

    प्रधान- कर्ता

    कर्ता- प्रथमा में

    कर्म- द्वितीया में

    क्रियापद- कर्तानुसार (धातु + प.प./आ.प.)

    अहं विद्यालयं गच्छामि।

    कर्मवाच्य

    प्रधान- कर्म

    कर्ता- तृतीया में

    कर्म- प्रथमा में

    क्रियापद- कर्मानुसार, (धातु + य + आ.प.)

    तेन ग्रन्थः पठ्यते।

    भाववाच्य

    प्रधान- भाव

    कर्ता- तृतीया में

    कर्म- नहीं होता

    क्रियापद- कर्मानुसार, (धातु + य + आ.प.), नित्य प्र.पु. ए.व

    बालकेन क्रीडयते।

    Important Points

    'बालः पाषाणं क्षिपति' इस वाक्य में 'बालः' कर्ता, ‘पाषाणम्’ कर्म है और क्रिया कर्ता के अनुसार है, इसलिए यह वाक्य कर्तृवाच्य है। बालेन पाषाणः क्षिप्यते

    वाच्यपरिवर्तन-  

     

    कर्तृवाच्य

    कर्मवाच्य

    कर्ता

    बालः (प्रथमा)

    बालेन (तृतीया)

    कर्म

    पाषाणं (द्वितीया)

    पाषाणः (प्रथमा)

    क्रिया

    क्षिपति। [कर्तानुसार (धातु + प.प./आ.प.)]

    क्षिप्यते। [कर्मानुसार, (धातु + य + आ.प.)]

     

    इससे यह स्पष्ट होता है कि 'बालः पाषाणं क्षिपति' इस वाक्य का वाच्यपरिवर्तन बालेन पाषाणः क्षिप्यते।’ होगा।

  • Question 2/10
    5 / -1

    'श्यामः जलं पिबति।'  वाक्यस्य वाच्य परिवर्तनं कुरुत –
    Solutions

    प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - 'श्यामेन जलं पीयते।' वाक्य का वाच्य परिवर्तन करो -

    स्पष्टीकरण -

    वाच्य - किसी वाक्य के वाच्य से ज्ञात होता है कि वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव प्रधान है। संस्कृत में तीन वाच्य होते हैं-

    १. कर्तृवाच्य २. कर्मवाच्य ३. भाववाच्य

    वाच्य

    विशेष

    उदाहरण

    कर्तृवाच्य

    प्रधान- कर्ता

    कर्ता- प्रथमा में

    कर्म- द्वितीया में

    क्रियापद- कर्तानुसार (धातु + प.प./आ.प.)

    अहं विद्यालयं गच्छामि।

    कर्मवाच्य

    प्रधान- कर्म

    कर्ता- तृतीया में

    कर्म- प्रथमा में

    क्रियापद- कर्मानुसार, (धातु + य + आ.प.)

    तेन ग्रन्थः पठ्यते।

    भाववाच्य

    प्रधान- भाव

    कर्ता- तृतीया में

    कर्म- नहीं होता

    क्रियापद- कर्मानुसार, (धातु + य + आ.प.), नित्य प्र.पु. ए.व

    बालकेन क्रीडयते।

    Important Points

    'श्यामः जलं पिबति।' इस वाक्य में 'श्यामः' कर्ता, ‘जलम्’ कर्म है और क्रिया कर्ता के अनुसार है, इसलिए यह वाक्य कर्तृवाच्य है।

    वाच्यपरिवर्तन- 

     

    कर्तृवाच्य

    कर्मवाच्य

    कर्ता

    श्यामः (प्रथमा)

    श्यामेन (तृतीया)

    कर्म

    जलं (द्वितीया)

    जलं (प्रथमा)

    क्रिया

    पिबति। [कर्तानुसार (धातु + प.प./आ.प.)]

    पीयते। [कर्मानुसार, (धातु + य + आ.प.)]

     

    इससे यह स्पष्ट होता है कि 'श्यामः जलं पिबति।' इस वाक्य का वाच्यपरिवर्तन श्यामेन जलं पीयते। होगा

  • Question 3/10
    5 / -1

    कर्तृवाच्यस्यानुरूपं शुद्धवाक्यं वर्तते-
    Solutions

    प्रश्नानुवाद - कर्तृवाच्य के अनुरूप शुद्ध वाक्य है-

    स्पष्टीकरण -

    • दिये गये सभी विकल्प कर्तृवाच्य के ही उदाहरण है। परन्तु शुद्ध वाक्य केवल - ताः पुस्तकं पठन्ति है।
    • ताः पुस्तकं पठन्ति अर्थात् वे पुस्तक पढ़ती हैं।
    • ताः रूप तत् सर्वनाम शब्द (स्त्रीलिंग) के प्रथमा विभक्ति-बहुवचन में बनता है।
    • कर्तृवाच्य - इस वाच्य में कर्ता के अनुसार क्रिया होती है और कर्म में द्वितीया होती है।
    • इसी तरह यहाँ कर्ता (ताः) प्रथमपुरुष-बहुवचन का है, क्रिया (पठन्ति) भी समान पुरुष-वचन में है और कर्म (पुस्तकं) में द्वितीया विभक्ति है।

     

    अतः कहा जा सकता है कि ताः पुस्तकं पठन्ति शुद्ध वाक्य है।

    Additional Information

    अन्य विकल्पों का स्पष्टीकरण -

    • वयं उद्याने क्रीडन्ति। 
    • यूयं भोजनं खादामः
    • अहं ग्रामं गच्छति। (इन तीनों ही वाक्यों में क्रियापद अशुद्ध है, जो कर्ता के पुरुष और वचन के अनुसार नहीं है।)
  • Question 4/10
    5 / -1

    "कवि काव्यं करोति।" अस्य वाक्यस्य वाच्यपरिवर्तन कुरुत -
    Solutions

    प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - 'कवि काव्यं करोति।' वाक्य का वाच्य परिवर्तन करो -

    Key Points

    वाच्य - किसी वाक्य के वाच्य से ज्ञात होता है कि वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव प्रधान है। संस्कृत में तीन वाच्य होते हैं-

    १. कर्तृवाच्य २. कर्मवाच्य ३. भाववाच्य

    वाच्य

    विशेष

    उदाहरण

    कर्तृवाच्य

    प्रधान- कर्ता

    कर्ता- प्रथमा में

    कर्म- द्वितीया में

    क्रियापद- कर्तानुसार (धातु + प.प./आ.प.)

    अहं विद्यालयं गच्छामि।

    कर्मवाच्य

    प्रधान- कर्म

    कर्ता- तृतीया में

    कर्म- प्रथमा में

    क्रियापद- कर्मानुसार, (धातु + य + आ.प.)

    तेन ग्रन्थः पठ्यते।

    भाववाच्य

    प्रधान- भाव

    कर्ता- तृतीया में

    कर्म- नहीं होता

    क्रियापद- कर्मानुसार, (धातु + य + आ.प.), नित्य प्र.पु. ए.व

    बालकेन क्रीडयते।

    Important Points

    'कवि काव्यं करोति' इस वाक्य में 'कवि' कर्ता, ‘काव्य’ कर्म है और क्रिया कर्ता के अनुसार है, इसलिए यह वाक्य कर्तृवाच्य है।

    वाच्यपरिवर्तन-  

     

    कर्तृवाच्य

    कर्मवाच्य

    कर्ता

    कवि (प्रथमा)

    कविना (तृतीया)

    कर्म

    काव्यं (द्वितीया)

    काव्यं (प्रथमा)

    क्रिया

    करोति। [कर्तानुसार (धातु + प.प./आ.प.)]

    क्रियते। [कर्मानुसार, (धातु + य + आ.प.)]

     

    इससे यह स्पष्ट होता है कि 'कवि काव्यं करोति' इस वाक्य का वाच्यपरिवर्तन कविना काव्यं क्रियते।’ होगा।

  • Question 5/10
    5 / -1

    'अहं त्वां पश्यामि' वाक्यस्यास्य कर्मवाच्यं भवति ________
    Solutions

    प्रश्नानुवाद - 'अहं त्वां पश्यामि' इस वाक्य का कर्मवाच्य होता है ________

    वाच्य - किसी वाक्य के वाच्य से ज्ञात होता है कि वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव प्रधान है। संस्कृत में तीन वाच्य होते हैं-

    १. कर्तृवाच्य २. कर्मवाच्य ३. भाववाच्य

    वाच्य

    विशेष

    उदाहरण

    कर्तृवाच्य

    प्रधान- कर्ता

    कर्ता- प्रथमा में

    कर्म- द्वितीया में

    क्रियापद- कर्तानुसार (धातु + प.प./आ.प.)

    अहं विद्यालयं गच्छामि।

    कर्मवाच्य

    प्रधान- कर्म

    कर्ता- तृतीया में

    कर्म- प्रथमा में

    क्रियापद- कर्मानुसार, (धातु + य + आ.प.)

    तेन ग्रन्थः पठ्यते।

    भाववाच्य

    प्रधान- भाव

    कर्ता- तृतीया में

    कर्म- नहीं होता

    क्रियापद- कर्मानुसार, (धातु + य + आ.प.), नित्य प्र.पु. ए.व

    बालकेन क्रीडयते।


    Important Points

    'अहं त्वां पश्यामि।' इस वाक्य में 'अहं' यह बहुवचन कर्ता, ‘त्वां’ यह एकवचन कर्म है और क्रिया कर्ता के अनुसार है, इसलिए यह वाक्य कर्तृवाच्य है। 

    वाच्यपरिवर्तन-  

     

    कर्तृवाच्य

    कर्मवाच्य

    कर्ता

    अहम् (प्रथमा)

    मया (तृतीया)

    कर्म

    त्वां (द्वितीया)

    त्वं (प्रथमा)

    क्रिया

    पश्यामि। [कर्तानुसार (धातु + प.प./आ.प.)]

    दृश्यते। [कर्मानुसार, (धातु + य + आ.प.)]

     

    इससे यह स्पष्ट होता है कि 'अहं त्वां पश्यामि।' इस वाक्य का वाच्य परिवर्तन मया त्वं दृश्यते।’ होगा।

  • Question 6/10
    5 / -1

    'बालकः पुस्तकं पठति' इत्यस्य वाक्यस्य वाच्यपरिवर्तनं भविष्यति-
    Solutions

    प्रश्न का अनुवाद -  'बालकः पुस्तकं पठति' इस वाक्य का वाच्यपरिवर्तन होगा - 

    स्पष्टीकरण - 'बालकः पुस्तकं पठति' इस वाक्य का वाच्यपरिवर्तन होगा - बालकेन पुस्तकं पठ्यते।

    कर्तुवाच्य - बालकः पुस्तकं पठति।

    कर्मवाच्य - बालकेन पुस्तकं पठ्यते।

    Important Points

    कर्मवाच्य  - 

    • इसमें कर्म की प्रधानता होती है। अतः क्रिया में लिङ्ग, पुरुष व वचन कर्म के अनुसार होता है।
    • कर्तृवाच्य का कर्ता कर्मवाच्य में तृतीया विभक्ति में होता है और कर्म प्रथमा विभक्ति में होता है।
    • यहाँ सभी धातुएँ आत्मनेपद में होती हैं और बीच में ‘य’ जुड़ता है।
    • जैसा कहा भी गया है-
      कर्मणि प्रथमा यय तृतीयाऽथ च कर्तरि।
      कर्मवाच्यं भवेत् तत्तु क्रिया कर्मानुसारिणी॥
    • जैसे– छात्रेण विद्यालयः गम्यते, छात्राभ्यां पुस्तके पठ्येते।
  • Question 7/10
    5 / -1

    निम्नलिखितेषु कर्मवाच्यस्य उदाहरणमस्ति-
    Solutions

    प्रश्नानुवाद - निम्नलिखित में से कर्मवाच्य का उदाहरण है-

    स्पष्टीकरण -

    • दिये गये विकल्पों में रमया प्रातःकाले मन्दिरं गम्यते कर्मवाच्य का उदाहरण है।
    • कर्मवाच्य - कर्मवाच्य में कर्तापद में तृतीया होती है और क्रिया पद आत्मने पद में कर्म के अनुसार होता है।
    • इस तरह यहाँ कर्ता (रमया) में तृतीया विभक्ति है और क्रिया (गम्यते) आत्मनेपद में कर्म (मन्दिरं) के अनुसार एकवचन में है।
    • यहाँ मन्दिरः नहीं होगा, क्योंकि मन्दिरम् नपुंसकलिंग पद है, इसलिए प्रथमा विभक्ति-एकवचन में मन्दिरम् पद बनता है।
    • कर्मवाच्य में केवल कर्ता, कर्म, क्रिया में परिवर्तन होता है। अन्य किसी शब्द में परिवर्तन नहीं होता है।
    • इस वाक्य में प्रातःकाले कर्ता, कर्म या क्रिया नहीं है, इसलिए उसमें कोई परिवर्तन नहीं होगा।

     

    अतः स्पष्ट है कि यहाँ रमया प्रातःकाले मन्दिरं गम्यते कर्मवाच्य का उदाहरण है।

    Important Points

    संस्कृत में तीन वाच्य होते हैं। 1. कर्तृवाच्य, 2. कर्मवाच्य, 3. भाववाच्य

    वाच्य

    नियम

    उदाहरण

    कर्तृवाच्य

    कर्ता + कर्म में द्वितीया विभक्ति + कर्ता के अनुसार क्रिया का पुरुष एवं वचन

    रामः   पुस्तकं   पठति।

    कर्ता + कर्म + क्रिया

    कर्मवाच्य

    कर्ता में तृ.वि. + कर्म में प्रथमा विभक्ति (एक., द्वि., बहु.) + क्रिया का वचन कर्म के अनुसार (आत्मनेपद में)

    छात्रैः   पुस्तकानि   पठ्यन्ते।

    कर्ता में तृ.वि. + प्रथमा विभक्ति (एक., द्वि., बहु.) + क्रिया का वचन कर्म के अनुसार (आत्मनेपद में)

    भाववाच्य

    कर्ता में तृ.वि. + क्रिया में प्रथमपुरुष एकवचन (आत्मनेपद में)

    (यह अकर्मक क्रियाओं में होता है।)

    रामेण हस्यते।

    कर्ता में तृ.वि. + क्रिया में प्रथम पुरुष-एकवचन (आत्मनेपद में)

    Additional Informationअन्य विकल्पों का स्पष्टीकरण -

    • रमा प्रातःकाले मन्दिरं गच्छति। - यह कर्तृवाच्य वाक्य है।
    • रमया हस्यते। - यह भाववाच्य वाक्य है। (जहाँ कर्ता में तृतीया और क्रिया आत्मनेपद तथा एकवचन में होती है।)
    • सीतया पुस्तकः लिख्यन्ते। - यह कर्मवाच्य वाक्य है, किन्तु यह अशुद्ध वाक्य है। जहाँ कर्म पद (पुस्तकं) एकवचन में और क्रिया पद (लिख्यन्ते) बहुवचन में है। जबकि कर्मवाच्य में क्रियापद कर्म के अनुसार होता है।
  • Question 8/10
    5 / -1

    'रामः युद्धं करोति' वाक्यस्यास्य वाच्यपरिवर्तनं कुरुत-
    Solutions

    प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - 'रामः युद्धं करोति' इस वाक्य का वाच्यपरिवर्तन करें -

    Key Points

    किसी वाक्य के वाच्य से ज्ञात होता है कि वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव प्रधान है। संस्कृत में तीन वाच्य होते हैं-

    १. कर्तृवाच्य २. कर्मवाच्य ३. भाववाच्य

    नाम

    परिभाषा

    उदाहरण

    कर्तृवाच्य

    क्रिया अकर्मक, सकर्मक दोनों होती है और क्रिया द्वारा कर्ता उक्त होता है। कर्ता में प्रथमा विभक्ति तथा कर्म में द्वितिया विभक्ति होती है।

    सः गृहं गच्छति।

    मयूराः नृत्यन्ति।

    कर्मवाच्य

    क्रिया सकर्मक होती है और क्रिया द्वारा कर्म उक्त होता है। यहाँ कर्ता में तृतीया और कर्म प्रथमा विभक्ति में होती है।

    तेन विद्यालयः गम्यते।

    भाववाच्य

    अकर्मक क्रिया होती है और क्रिया द्वारा भाव उक्त होता है। यहाँ कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है और कर्म नहीं होता।

    मया हस्यते।

    मयूरैः नृत्यते।

     

    अब हम अगर इस वाक्य को देखें तो स्पष्ट होता है-

    • ‘कृ’ धातु सकर्मक है तो कर्म वाच्य में परिवर्तन होगा।
    • वाक्य में कर्ता एकवचन में है तो वाच्य परिवर्तन करने पर कर्ता में तृतीया विभक्ति एकवचन होगा।
    • 'रामः युद्धं करोतिइस वाक्य में 'रामः' कर्ता, ‘ युद्धं’ कर्म है और क्रिया कर्ता के अनुसार है, इसलिए यह वाक्य कर्तृवाच्य है।

    Additional Information

     

    कर्तृवाच्य

    कर्मवाच्य

    कर्ता

    रामः (प्रथमपुरुष प्रथमा विभक्ति एकवचन)

    रामेण (प्रथमपुरुष तृतीया विभक्ति एकवचन)

    कर्म

    युद्धं (द्वितीया विभक्ति एकवचन)

    यद्धं (प्रथमा विभक्ति एकवचन)

    क्रिया

    करोति [कर्तानुसार (प्रथमपुरुष एकवचन)]

    क्रियते [कर्मानुसार, (प्रथम पुरुष एकवचन)]

     

    इससे यह स्पष्ट होता है कि 'रामः युद्धं करोति' इस वाक्य का वाच्यपरिवर्तन रामेण युद्धं क्रियते। होगा।

  • Question 9/10
    5 / -1

    'जनाः कथां शृण्वन्ति।' वाक्यस्यास्य वाच्यपरिवर्तनं कुरुत-
    Solutions

    प्रश्नानुवाद - 'जनाः कथां शृण्वन्ति।' इस वाक्य का वाच्य परिवर्तन करें।

    स्पष्टीकरण -

    • वाक्य - 'जनाः कथां शृण्वन्ति।'
    • हिन्दी में अर्थ - अनेक लोग कथा सुनते हैं।
    • जब कर्ता के द्वारा क्रिया निर्धारित होती है तो वहाँ कर्तृवाच्य होता है। अर्थात् कर्ता के अनुसार ही क्रिया का पुरुष और वचन निर्धारित होता है।
    • जब क्रिया के द्वारा कर्म की प्रधानता होती है तो वहाँ भाववाच्य होता है। यहाँ क्रिया में हमेशा प्रथम पुरुष एकवचन और कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है। 
    • प्रस्तुत वाक्य को भाववाच्य में परिवर्तित करने पर - जनैः कथा श्रूयते। यहाँ कर्मवाच्य के अनुसार कर्ता में तृतीया विभक्ति एवं क्रिया में प्रथमपुरुष एकवचन है। अतः यहाँ जनैः कथा श्रूयते सही उत्तर है।
  • Question 10/10
    5 / -1

    'रामः ग्रन्थान् पठति' वाच्यपरिवर्तनं कुरुत-
    Solutions

    प्रश्नानुवाद - 'रामः ग्रन्थान् पठति' वाच्य परिवर्तन करे।

    स्पष्टीकरण -

    • रामः ग्रन्थान् पठति (राम ग्रन्थों के पढ़ता है) - यह कर्तृवाच्य वाक्य है। जहाँ क्रिया कर्ता के अनुसार एकवचन में है।
    • इस वाक्य को कर्म वाच्य में परिवर्तित करने पर - रामेण ग्रन्थाः पठ्यन्ते वाक्य बनेगा।
    • कर्मवाच्य - कर्मवाच्य में कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है। क्रिया कर्म के अनुसार प्रथमपुरुष के तीनों वचनों में से किसी एकवचन में होती है।
    • रामेण ग्रन्थाः पठ्यन्ते - यहाँ रामेण में तृतीया है। कर्म (ग्रन्थाः) में प्रथमा विभक्ति-बहुवचन है, तो क्रिया (पठ्यन्ते) भी प्रथमपुरुष-बहुवचन की होगी।

     

    अतः स्पष्ट है कि वाच्य परिवर्तन होने पर रामेण ग्रन्थाः पठ्यन्ते यह वाक्य सही उत्तर होगा।

    Additional Information

    संस्कृत में तीन वाच्य होते हैं। 1. कर्तृवाच्य, 2. कर्मवाच्य, 3. भाववाच्य

    वाच्य

    नियम

    उदाहरण

    कर्तरिवाच्य

    कर्ता + कर्म में द्वितीया विभक्ति + कर्ता के अनुसार क्रिया का पुरुष एवं वचन

    रामः   पुस्तकं   पठति।

    कर्ता + कर्म + क्रिया

    कर्मवाच्य

    कर्ता में तृ.वि. + कर्म में प्रथमा विभक्ति (एक., द्वि., बहु.) + क्रिया का वचन कर्म के अनुसार (आत्मनेपद में)

    छात्रैः   पुस्तकानि   पठ्यन्ते।

    कर्ता में तृ.वि. + प्रथमा विभक्ति (एक., द्वि., बहु.) + क्रिया का वचन कर्म के अनुसार (आत्मनेपद में)

    भाववाच्य

    कर्ता में तृ.वि. + क्रिया में प्रथमपुरुष एकवचन (आत्मनेपद में)

    (यह अकर्मक क्रियाओं में होता है।)

    रामेण हस्यते।

    कर्ता में तृ.वि. + क्रिया में प्रथम पुरुष-एकवचन (आत्मनेपद में)

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